सच्चे प्यार की पहचान क्या होती है? अपने प्यार को कैसे पहचाने? सच्चे प्यार की पहचान कैसे करें? सच्चे प्यार की निशानी क्या हैं? ऐसे ही सवालों के जवाब आज हम आपको इस आर्टिकल में देने वाले हैं।
अगर आपको प्यार है या किसी को आपसे है, तो आपको जानना चाहिए की वो प्यार है या सिर्फ आकर्षण या एक सच्चा प्यार।
सच्चा प्यार पहचानने के आज आप प्यार के नहीं उन निशानियों के बारें में जानेंगे जो सच में सच्चा प्रेम करता है। तो देर किस बात की आगे बढिये।
सच्चे प्यार की पहचान कैसे करें? क्या हैं सच्चे प्यार की निशानी और गुण?
सच्चे प्यार की पहचान करना बिल्कुल भी आसान नहीं है। क्योंकि सच्चा प्यार पूरे संसार में कुछ चंद ही लोग करते हैं।
हम आपको बताने चाहते हैं की आप जानना चाहते हैं की सच्चे प्यार की पहचान क्या होती है? कोई अगर आपसे सच्चा प्यार कर रहा है तो अपने प्यार को कैसे पहचाने?
तो आज आपको इस आर्टिकल में सिर्फ सच्चे प्यार के निशानी और गुण के बारें में पता चलने वाला है। क्योंकि प्यार और सच्चा प्यार एक नहीं एकदम ही अलग होते हैं।
सच्चे प्यार की पहचान करने के लिए पहले तो आपको ये जानना चाहिए की प्यार क्या होता है और सच्चा प्यार क्या होता है?
क्योंकि दोनों ही अलग-अलग होते हैं। अगर आप ये जानते हैं तो आपको सच्चा प्यार पहचानने में आसानी होगी। तो चलिए जानते हैं की सच्चे प्यार की पहचान क्या होती है और सच्चे प्यार की निशानी क्या है?
1. आत्मा से प्यार करना
आप सोच रहे होंगे ये आत्मा से प्यार का क्या मतलब है? चलिए आज जान ही लीजिये। जब भी कोई आज के ज़माने में प्यार करता है वो उसके बोल चाल, शरीर, फैशन, पढाई, पैसा आदि, को देखकर करता है। पर नहीं ये प्यार नहीं होता।
ये महज एक आकर्षण है जो समय के साथ मन को आकर्षित किया है। आत्मा से जो प्यार करता है उसे उसके शरीर, पढाई, पैसे से कोई मतलब ही नहीं होता। वो फिर भी उससे प्यार करता है।
जैसे आज कोई लड़का किसी लड़की की सुंदरता पे मोहित होकर उससे प्यार कर बैठा। पर कल को लड़की की सुंदरता किसी कारण वश ख़त्म हो जाती है, तो वो लड़का उस लड़की से दूर हो जाता है मतलब प्यार खत्म हो जाता है।
पर जब वही लड़का लड़की के इस रूप को देखने के बाद भी उसे अपनाता है बस यही आत्मा से प्यार करना होता है।
2. निःस्वार्थ हो जाना
सच्चा प्यार क्या होता है ये आपको यहाँ दिखने वाला है। आजकल जब कोई किसी से प्यार करता है तो किस नीव पर करता है। यही ना की वो भी मुझसे प्यार करता है या नहीं।
वहीं पर जो सच्चा प्यार करता है उसे इस बात से कोई मतलब नहीं होता की वो भी मुझसे प्यार करता/करती है या नहीं। बस वो उससे दिल से प्यार करता रहता है।
बल्कि मान लो की, जिससे आप प्यार करते हैं वो किसी और से प्यार करता हो या आपसे प्यार ना करता हो। पर जो सच्चे प्यार में है फिर भी वो उसे प्यार करता ही रहेगा।
पर ये नहीं की वो उसे परेशान करेगा, उससे ज़बरदस्ती ‘हाँ’ बुलवाएगा। ऐसा सच्चे प्यार में कुछ भी नहीं होता।
वो उससे दूर रहकर भी निःस्वार्थ भाव से आत्मा से उससे प्यार करता रहेगा। जब कोई मनुष्य ऐसे प्यार करता है तो समझ लो वो ईश्वर की पूजा कर रहा है।
3. शारीरिक आकर्षण कम होना
जब कोई किसी से सच में प्यार करने लगता है। तो उसके अंदर काम वासना कम हो जाती है। वो अंदर से शुद्ध होने लगता है। वो उसके शरीर के आकर्षण से आकर्षित नहीं होता। बल्कि उसके मन से होने लगता है।
ऐसा नहीं है की अब उसे उसके सुंदरता, कलाओं से कोई मतलब नहीं होता। पर कल को इनमे कमी होने पर भी वो उसकी तरफ वैसे ही आकर्षित रहेगा।
यहाँ तक की जब इंसान सच्चे प्यार में पड़ जाता है तो वो दूसरों से भी कम या ना के बराबर आकर्षित होता है।
फिर चाहे दूसरे में कितना भी आकर्षण हो। क्योंकि उसका मन तो कहीं और लगा रहता है। और यही सच्चे प्यार की एक निशानी भी है।
4. प्रेमी की ख़ुशी
सबको अपनी ख़ुशी, अपनी इच्छा सबसे प्यारी होती है। और हो भी क्यों की एक ही ज़िन्दगी मिली है क्यों न इसे ख़ुशी से जिया जाये।
पर ये सब जानकर भी सच्चा प्यार करने वाला इंसान सबसे पहले अपने प्रेमी/प्रेमिका की ख़ुशी के बारें में सोचता है। वो ये सोचता है की मेरी ख़ुशी का क्या मतलब अगर मेरा प्यार खुश नहीं है।
इसलिए वो ऐसा काम करता है जहाँ उसके प्रेमी की ख़ुशी हो। और वो उसके खुश होने से ही खुश हो जाता है। इस तरह प्यार करने वाला ही सच्चा प्यार कहलाता है।
5. त्याग करना
अगर किसी को कुछ पसंद है, किसी की कोई इच्छा है तो वो किसी के लिए भी अपनी इच्छा का त्याग करना पसंद नहीं करते।
पर यहीं सच्चे प्यार में उल्टा है। जो उसके प्यार की इच्छा उसे ही अपनी इच्छा मानकर ख़ुशी से रहते हैं।
और इस बात का एहसास अपने प्यार को भी नहीं होने देते। और इसे ही प्रेम में त्याग करना कहते हैं। त्याग का तो सिर्फ ये एक उदहारण था।
आप खुद इस बात को समझते होंगे की किसी भी चीज़ का त्याग करना कितना कठिन होता है। खासकर तब अगर वो आपको बहुत पसंद हो।
पर सच्चा प्यार करने वाला हँसते हुए किसी भी मोड़ पर त्याग करने के लिए तैयार रहता है। THIS IS THE REAL LOVE.
6. हर सुख दुःख में साथ निभाना
हर कोई सुख में साथ रहता है। सुख में भागीदार बनता है। पर दुःख के समय में कोई अपना ही साथ रहता है।
बस ऐसे ही, चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन हो। जो अपने प्यार का साथ हर हाल में निभाए वो ही सच्चा प्यार करता है।
कदम से कदम मिलकर हर समय जो अपने प्रेम का सहारा बने वो सच्चा प्यार करता है। बात सिर्फ यहाँ सुख दुःख की नहीं। बल्कि उन ऐसे कई परिस्थितयों की जिसमे इंसान फंस जाता है।
7. गलती होने पर साथ न छोड़ना
जब कोई इंसान किसी से प्यार करता है। तो उसके अंदर की अच्छाइयां देखकर करता है। पर वो भूल जाता है वो जिससे प्यार करता है वो भी इंसान ही है। उसके अंदर भी गलतियां, विकार होंगे।
और जब वो धीरे-धीरे उसके अंदर की बुराइयों को देखने लग जाता है तो उसे छोड़ देता है। ब्रेकअप कर लेता है। पर सच्चे प्यार का प्यार कुछ अलग ही होता है।
इस परिस्थिति में सच्चा प्यार करने वाला इंसान उससे दूर जाने के बजाय उसके गलतियों को, उसके बुराइयों को अपनाता है।
उसे उसके गलतियों पर, बुराइयों पर उसे समझाता है। उसे सुधारने की अपनी पूरी कोशिश करता है। अब वो उसकी मर्ज़ी है की वो सुधरना चाहता भी या नहीं। इस तरह प्यार करने वाला ही सच्चे प्यार को निभा पाता है।
सलाह :
सच्चे प्यार की पहचान क्या होती है? अपने प्यार को कैसे पहचाने? ये तो आपको पता चल ही गया होगा। सच्चे प्यार की तलाश अपने प्रेमी में मत कीजिये। क्योंकि इच्छाओं का अंत नहीं है।
प्यार का तो सच्चा सुख इसमें ही है क्या आप अपने प्रेमी से दिल से प्यार करते हैं या नहीं। बस अपने प्रेमी में आपके लिए प्रेम की तलाश कीजिये। अगर वो थोड़ा भी है तो ये जरूर सोचिये की थोड़ा है पर सच्चा है।
ऐसे ही किसी भी सवाल के सही जवाब के लिए MagicalAdvice.com आपके साथ हमेशा है। Best Of Luck 🤗